भाभी चूत लिक स्टोरी में मेरे भैया भाभी को समय नहीं देते थे. इससे भाभी और मेरे बीच सम्बन्ध अच्छे हो गए. हम दोनों करीब आते गए. मैंने अपनी भाभी को कैसे चोदा?
सभी बड़े लंड वालों को और सुंदर-सुंदर फुद्दी वाली भाभियों को मेरा नमस्ते.
मेरा नाम राजा है और मेरे घर में चार लोग हैं.
मैं, मेरे बड़े भैया, मां और मेरी स्वीट सेक्सी भाभी.
आज मैं आप सभी के लिए मेरी और मेरी भाभी के बीच हुई सेक्स के खेल यानि चुदाई वाली कहानी सुनाने जा रहा हूँ.
यह भाभी चूत लिक स्टोरी आज से दस साल पहले की है जब मैं बाहर पढ़ाई करने गया था और मेरी भाभी घर पर थीं.
मेरी भाभी से मेरा रिश्ता पहले उतना अच्छा नहीं था.
लेकिन जब मेरी भाभी मां बनीं, तब उनका बदन देखकर मेरा लंड हमेशा खड़ा होने लगता था.
एक दिन मैं उनके रूम में ऐसे ही बात कर रहा था कि उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया.
मैंने पहली बार उनके बूब्स देखे, जो ब्लाउज से बाहर आने को तड़प रहे थे.
ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने मुझे ही अपने दूध दिखाने का जतन किया था.
मुझे अपने मम्मे देखकर उन्होंने तुरंत अपना पल्लू ठीक कर लिया और वहां से चली गईं.
ऐसा कुछ दिन निकल गए.
मेरे और भाभी के बीच रिश्ता अच्छा होने लगा.
मेरे बड़े भैया घर में ज्यादा समय नहीं देते थे जिसके कारण मुझे भाभी के नजदीक रहने का अच्छा मौका मिल गया.
हम दोनों धीरे-धीरे करीब आते चले गए.
अब भाभी मेरे सामने अपनी साड़ी बदल लेती थीं और उनका छोटा बच्चा था, जिसे वे मेरे सामने दूध पिलाती रहती थीं.
यह सीन देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और शायद भाभी मेरी पैंट में फूलते लवड़े को भांप लेती थीं.
यह सब हुआ तो वे मुझसे खुलने लगीं और धीरे-धीरे हमारी बातें सेक्स भरी होने लगीं.
उन्हें पता चल गया था कि मैं उनके साथ चुदाई करना चाहता हूँ.
लेकिन शुरूआत कैसे हो, ये हम दोनों को नहीं पता था.
वे भी डर रही थीं और मैं भी.
लेकिन मुझे कुछ हिम्मत करनी थी तो मैं उन्हें छूने लगा.
भाभी भी मेरे छूने से सहज थीं तो वे भी मुझे पकड़ने लगीं.
मैंने एक दिन भाभी को गले से लगा लिया और उनके मम्मों को अपने सीने से मसल कर दबा दिया.
भाभी हंस कर बस इतना बोलीं- आह आह छोड़ो, क्या दबा कर मार ही दोगे?
मैं हट गया और उस दिन से मैं जब तब उन्हें अपने गले से लगाने लगा.
फिर एक दिन मैं सबसे छुपकर उनके कमरे में चला गया और जब वे आईं तो कपड़े खोलने लगीं.
उन्होंने साड़ी ब्लाउज उतारा ही था और वे ब्रा में आ गई थीं.
शायद वे अपने पेटीकोट का नाड़ा भी ढीला कर रही थीं कि तभी मैंने आवाज दे दी- भाभी, मैं यहीं हूँ.
उन्होंने मुझे देखा और झट से साड़ी को अपने मम्मों पर ढक कर मुझे प्यार से डपटने लगीं.
मैं हंस कर बाहर चला गया और भाभी भी मुस्कुरा दीं.
उसके बाद मैंने एक दिन उनकी गोरी कमर को चूम लिया और उसी समय मैंने उनकी नाभि में जीभ डाल दी और उसे चूस लिया.
मेरा ये सब करना शायद उन्हें भी अच्छा लगने लगा था, इसलिए वे भी मुझे लिफ्ट देती गईं.
कुछ दिन बाद ये सब और आगे बढ़ा.
अब कमर के साथ-साथ मैं उनके ब्लाउज के बूब्स से ही अपना मुँह लगा कर दूध पीने की कोशिश करने लगा और इसमें मुझे उनका सहयोग भी मिलने लगे.
एक दिन तो हाल यह हो गया था कि भाभी आईं और बोलीं- आज दुदु नहीं पीना है क्या?
मैंने कहा- आज तो आप खुद खोल कर पिलाओ तो ही पियूँगा.
उन्होंने अपना ब्लाउज खोल दिया और वे मुझे दूध पिलाने लगीं.
यह हुआ तो सब कुछ खुलता चला गया.
अब वे जब चाहे मुझे अपने दूध चुसवा कर चली जाती थीं.
हालांकि अभी मुख्य चीज चुदाई नहीं हुई थी लेकिन यह तय था कि अगर मैं उन्हें पटक कर उनके ऊपर चढ़ जाता तो भाभी मना नहीं करने वाली थीं.
एक दिन घर खाली मिला.
मैंने हमेशा की तरह भाभी को अपने रूम में ले जाकर उन्हें किस किया और उनकी कमर और नाभि चाटने लगा. उनके दूध दबाने लगा.
पता नहीं उस दिन मुझे क्या हुआ, मैंने पहली बार भाभी की साड़ी उठाई और पेटीकोट के अन्दर हाथ डालकर उनकी पैंटी उतार दी.
भाभी ने मना किया लेकिन मैं नहीं रुका और भाभी को नीचे से नंगी कर दिया.
भाभी मुझे हटा रही थीं लेकिन मैंने उन्हें ऐसा करने नहीं दिया.
फिर मैंने पहली बार अपनी जिंदगी में चूत देखी.
आह … कितनी प्यारी और मस्त थी मेरी भाभी की चूत!
सच में बहुत अच्छी थी.
मैंने उसे अपनी जीभ से चाटा, तो वे भी मस्त होकर चुत चुसवाने लगी थीं.
अब मैं बिंदास उनकी चुत के दाने को मुँह में लेकर चूस रहा था.
भाभी चूत लिक का मजा ले ही रहा था मैं कि तभी दरवाजे पर उनका भाई आ गया और हमें अलग होना पड़ा.
भाभी के भाई के जाने के बाद भाभी ने मुझे जोर का थप्पड़ मारा और मुझसे दूर रहने को बोल दिया.
मैंने माफी भी मांगी, पर भाभी ने कुछ नहीं सुना.
फिर रात को बड़े भैया आए और सभी डिनर करके सो गए.
सुबह जब मैं उठा, तो भाभी मुझसे बात नहीं कर रही थीं.
दोपहर में मैं उनके रूम में चुपके से घुस गया और उनसे माफी मांगी.
पहले मैंने उन्हें चॉकलेट दी, वे ले नहीं रही थीं.
मैं उनके सामने रो पड़ा.
फिर जाकर भाभी ने ‘ठीक है’ कहा और मुझे उनके रूम से जाने को बोल दिया क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं कोई आ न जाए.
मैंने भी इसे सही समझा और चला गया.
फिर शाम हुई और मेरी मां मार्केट चली गईं.
घर खाली हो गया.
मैं भाभी के पास गया और उन्हें फिर से पकड़ा.
वे मना कर रही थीं लेकिन मैंने उन्हें बोला- बस आगे किस करूंगा और दूध पियूंगा, कुछ और नहीं करूंगा!
पहले तो उन्होंने मना किया लेकिन मेरे जोर देने पर मान गईं.
मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया. उनके गोल-मटोल दूध मेरे सामने थे.
उनके निप्पल डार्क कलर के थे.
भाभी के दूध पीने के बाद मैंने फिर से उनकी साड़ी उठा दी.
भाभी ने मुझे रोका, लेकिन इस बार पहले जैसा नहीं था.
मैंने साफ साफ कहा- बस एक बार भाभी, मुझे आपकी चूत चाटनी है!
वे चुप रह कर शायद मान गईं.
मैंने भाभी की पैंटी उतार दी और अपना अंडरवियर भी उतार दिया.
मैंने पहले भाभी के बदन को चाटा, उनके पैरों को चाटा. भाभी ‘ओह आह’ कर रही थीं.
मैं उन्हें ‘भाभी-भाभी.’ बोल रहा था.
तो वे बोलीं- भाभी नहीं बोल, कुछ और बोल!
मैंने उनका नाम लिया, जो कि बरखा है (नाम बदला हुआ).
उसके बाद मैंने भाभी को किस करते हुए उनके गले को चाटा, उनके दूध पर आया और दोनों दूध अच्छे से चाट-चूसकर लाल कर दिए.
उनकी नाभि को भी चूसकर लाल कर दिया.
इस बार भाभी जोर-जोर से आवाज निकाल रही थीं- आह ओह … आह!
जब मैं और नीचे गया तो भाभी की चूत को देखकर मैं रुक नहीं पाया और सीधा अपना मुँह उनकी चूत में डालकर जोर-जोर से चाटने लगा.
इससे भाभी की आवाज और तेज हो गई और वे मेरे सिर को अपनी चूत में दबाने लगीं.
फिर भाभी ने मुझे ऊपर किया और मेरे लंड को अपने हाथ से उनकी चूत के मुँह पर सैट करके लंड डालने को बोला.
जैसे ही मैंने पहला धक्का मारा, वे मुझसे चिपक गईं और अपने नाखूनों से मेरी पीठ पर मारने लगीं.
उनकी आंखें बंद थीं और वे मादकता से चिल्लाने लगीं- चोद साले … मुझे चोद और खा जा!
मैं भी उन्हें चोदे जा रहा था.
उनकी आवाज पूरे रूम में गूंज रही थी- आह ओह चोद चोद दे लौड़े साले … आह ओह!
तभी भाभी ने मुझे कसकर पकड़ लिया और उनका पानी गिर गया.
मैंने भी देर न करते हुए 10-12 धक्के मारकर अपना पानी उनकी चूत में डाल दिया और उनके ऊपर सो गया.
उसके बाद मैंने और भाभी ने कई बार सेक्स किया.
उनकी गांड भी मारी … वह बात अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
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